मैं औरत हूं
और मुझे नहीं चाहिए
पिता की संपत्ति में हिस्सा
भाई से कोई तोहफ़ा
पति से निजी खर्च
और बेटे से बुढ़ापे का सहारा
ये सब तुम रख लो
और साथ में रख लो
मेरा धर्म, जात और
मेरा तुम्हारे साथ
वो हर रिश्ता
जो मेरे औरत बने रहने में
मुझे तक़लीफ़ देते हैं
इस असल के सूद में
मैं दूंगी तुम्हें
मेरा पर्दा,
गंदे कपड़ों का ढेर
चौके में जूठे बर्तन
और घर में
तुम्हारा फैलाया कूड़ा
जिसकी सड़ांध
तुम्हें कभी अच्छी नहीं लगी
असल और सूद के
हिसाब के बाद
तुम्हारा मुझ पर
कोई क़र्ज़ न होगा
और तुम्हारी संपत्ति
मुझे वैसे भी नहीं चाहिए
तुम्हारे पुरुष होने में
अभी तक नहीं रहा ये शामिल
सो तुम बचे रह गए पुरुष
और मैं दूर होती गई
अपनी औरत से
तो अब बस
मेरा औरत रह पाना
बचा रह जाए
असल और सूद
अब तुम्हारे नाम
beautiful…👍
Khubsoorat 😊
bahut Sunder