थोड़ा चालाक बनो शाज़िया – Pankaj Srivastava

 

 

 

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शाज़िया इल्मी की बातचीत सुनकर हैरानू हूँ। हैरान इसलिए कि मेरी इस पुरानी साथी पत्रकार को अभी तक राजनीतिक जुमलेबाज़ी में महारत हासिल नहीं हुई। वो मुसलमानों को ‘सेक्युलर’ के बजाय ‘कम्युनल’ होने की नसीहत दे रही है बातचीत यहीं तक सुनने के बाद ज़बान से सिर्फ एक बात निकलती है– लानत है! तुमसे ना हो पाएगा शाज़िया..!!

लेकिन ठहरिये…बात तो आगे भी कही है शाज़िया ने। कहती हैं कि-” कम्युनल बनिये और अपनों को वोट दीजिए। अपने बारे में सोचिये। अरविंद केजरीवाल आपके अपने हैं। उनका साथ दीजिए। डरने और हराने का सिलसिला खत्म कीजिए, लड़िये और जीतिये।” 

बताया जाता है कि ये वीडियो तब बना जब शाज़िया मीरा सान्याल का प्रचार करने मुबई गई थीं! 

दिमाग चकरा गया है। ये कैसी ‘सांप्रदायिकता’ है जो मुसलमानों को किसी मुसलमान को नहीं अरविंद केजरीवाल और मीरा सान्याल का समर्थन करने के लिए प्रेरित कर रही है। ऐसा भी नहीं कि आम आदमी पार्टी किसी ‘सांप्रदायिक एजेंडे’ पर काम करी है। यह तो एक ऐसा ‘संप्रदाय’ रचने की बात है जिसमें हिंदू-मुस्लिम का साझा हो। वैसे भी, भारत में ‘संप्रदायों’ का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन सांप्रदायिकता का जैसा रूप आज दिख रहा है, वो 1857 के बाद ही पटल पर आई। 

वैसे, शाजिया ने किसी रैली में ‘बयान’ नहीं दिया। उन्होंने निजी बैठक में हो रही अनौपचारिक बातचीत में यह सब कहा। ऐसी बैठकों में तंज, छींटाकशी और उलटबाँसी का अर्थ सिर्फ ‘सुनकर’ नहीं लगाया जा सकता। इसे ‘बयान’ बताने की बेईमानी बहुत साफ है।

हमारे दौर में शब्दों के अर्थ इस कदर रूढ़ कर दिये गये हैं कि कुछ और समझना-समझाना मुश्किल है। शाज़िया पर बरस रहीं लानतों के बीच यही कह सकता हूँ-थोड़ा चालाक बनो दोस्त ! हमारा समाज व्यंग्य और उलटबाँसी को बूझ पाने की सलाहियत खो चुका है!

3 thoughts on “थोड़ा चालाक बनो शाज़िया – Pankaj Srivastava

  1. There are different understandings of the word “communal”. The dictionary meaning is “for or by a group rather than individuals”. Allied words are “commune” and “community”. The antonym of the word is NOT “secular” except in desi usage.

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