कबिरा खड़़ा मंझधार में – Rakesh Kayasth

Rakesh Kayasth

कबीरदास अक्सर बड़े लेखको के सपने में आते हैं। मैं छोटा लेखक हूं, लेकिन कबीर मेरे सपने में भी आये। सच कहूं तो कबीर से मेरी मुलाकात कहीं ज्यादा एक्सक्लूसिव थी। मैने कबीर को कुछ वैसे ही देखा जैसा मुन्नाभाई अक्सर बापू को देखा करता था, नींद में या जागते पता नहीं। सपना या अफसाना यहां से शुरू होता है कि कबीर बाज़ार में कहीं घूम रहे थे। पूरी तरह अपने गेटअप में थे और अपने अंदाज़ में कह रहे थे…

कबिरा खड़ा बाज़ार में लिये लुकाठी हाथ
जो घर फूंके आपना चले हमारे साथ..

लोग आंखे फाड़-फाड़कर देख रहे थे। पहचान कोई नहीं पा रहा था, कुत्ते आदतन भौंक कर रहे थे। कबीर एक बाज़ार से दूसरे बाज़ार में गये और एक शहर से दूसरे शहर में। हर जगह वही डायलॉग। अचानक एक राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल के जागरूक अंशकालिक संवाददाता की नज़र कबीर पर पड़ी, उसने हुलिया देखा, लुकाठी देखी और महत्वपूर्ण ख़बर उसके हाथ लग गई। कबीर बानी अब बाइट बनकर न्यूज़ चैनल के हेडक्वार्टर दिल्ली दफ्तर पहुंच गई। क्राइम ब्यूरो का प्रमुख उछलता हुआ संपादक के कमरे में पहुंचा और विजयी भाव से बताया कि हमने आतंकवादियों की भर्ती करने ख़ासतौर पर आये आईएसआई एजेंट को ढूंढ निकाला है।
चैनल पर एक्सक्लूसिव ख़बर चल पड़ी। एंकर ने चीख-चीखकर बताया कि आतंकवादियों का सरगना किस तरह गलियों में घूम-घूमकर लोगो को घर फूंकने और खून-खराबे की नसीहत दे रहा है। आईबी बेख़बर है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। ख़बर दिनभर चली और नतीजा ये हुआ कि शाम तक कबीरदास पकड़ लिये गये। सरकार अभी अपनी कामयाबी का जश्न मना ही रही थी कि `सेक्यूलर दिल’ रुलिंग पार्टी के महासचिव ने ट्वीट कर दिया– बाटला हाउस की तरह यह मामला भी फर्जी है। एक बेगुनाह मुसलमान को फंसाने की साजिश है, सोनिया जी इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगी।
सोनिया जी का नाम आते केंद्र सरकार ने मामले से पल्ला झाड़ लिया, लेकिन यूपी के साइकिल सवार नेताजी ने मामला दोनो हाथो लपक लिया। यूपी सरकार ने कबीरदास बेगुनाह करार दिया। उन्हे नहलाया –धुलाया गया और प्रेस कांफ्रेंस में लाया गया। इस बीच हैदराबाद वाले सलाउद्धीन कुरैशी साहब कबीरदास को अगले चुनाव में अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाने का एलान भी कर चुके थे। प्रेस कांफ्रेस शुरू हुई, साइकिल सवार नेताजी ने कहा, केंद्र सरकार ने एक बेगुनाह को फंसाने की साजिश की थी, लेकिन हमारी पार्टी मुसलमानों पर और जुल्म बर्दाश्त नहीं करेगी और वह भी पांच वक्त के नमाजी ऐसे सच्चे मुसलमान पर। लेकिन तभी अचानक सबको काठ मार गया, कबीरदास ने मुंह खोला और बोले–
काकर पाथर जोरि के मस्जिद लयो चुनाय
ता चढ़ि मुल्ला बांग दे क्या बहरो भयो खुदाय
साइकिल सवार पार्टी के वरिष्ठ नेता जनाब जमजम खान चिल्लाये– ये नकली मुसलमान है, संघ परिवार का आदमी है। इस पर ईशनिंदा का मुकदमा चलना चाहिए। किसी ने धीरे से कान में बताया कि सर ईशनिंदा का कानून तो सिर्फ पाकिस्तान में है। लेकिन कबीर दास फिर से पकड़ लिये गये, ईशनिंदा तो नहीं, लेकिन एक समुदाय विशेष की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने के इल्जाम के साथ। पुलिस की गाड़ी में बैठने से पहले कबीर ने कहा—
सेवक कुत्ता राम का मोतिया वाका नाम
डोरी लागी प्रेम की की जित खीचें तित जाउं
शाम होते-होते ख़बर फैल गई कि एक महान हिंदु संत को बिना किसी कारण के यूपी में गिरफ्तार कर लिया गया और साध्वी प्रज्ञा की तरह उन्हे भी बम ब्लास्ट के फर्जी मामले में फंसाने की तैयारी की जा रही है। जेल जाने से पहले भी उस महान संत ने भगवान राम का नाम लाय। भगवा ब्रिगेड ने पूरे देश में आंदोलन छेड़ दिया। साइकिल वाले नेताजी हवाई जहाज में बैठकर गुपचुप दिल्ली पहुंचे और रूलिंग पार्टी के आला नेताओं के साथ खुफिया मीटिंग की, जिसका निष्कर्ष यह रहा कि एक सिरफिरे आदमी की वजह हिंदू वोटो का ध्रुवीकरण हो जाएगा और देश के सेक्लूयरिज्म ख़तरे में पड़ जाएगा। बात सबकी समझ में आ गई। कबीर दास खामोशी से रिहा कर दिये गये।
छूटते ही एक नई भीड़ ने कबीर का स्वागत किया और एक विशाल शोभायात्रा निकाली गई। संजोयजक जी ने निवेदन किया, कुछ ज्ञान की बात कहिये, तब कबीर बोले—
राम नाम की लूट है, लूट सके सो लूट
अंत समय क्या पायेगा जब प्राण जाएंगे छूट

भीड़ ने तालियां बजाई, संयोजक महोदय ने कहा कि हां हम तो पूरी तरह लूटने को तैयार है। नारा बुलंद हुआ.. सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वही बनाएंगे

कबीर बोले– पाहन पूजे हरि मिलै, तो मैं पूजू पहार
ताते तो चक्की भली पीस खाये संसार

चीख पुकार मच गई, ये संत के वेश में `सेक्यूलर’ कहां से आया। कबीर को धक्के मारकर फौरन रथ से उतार दिया गया। माथे की चोट सहलाते कबीर बोले–
ज्ञानी को ज्ञानी मिलै, रस की लूटम लूट
ज्ञानी अज्ञानी मिलै, होवे माथा कूट
कबीर अकेले अपनी राह चले। इतने में एक ज्ञानी दौड़ा-दौड़ा आया और बोला कामरेड कबीर हम आपको ही ढूंढ रहे थे। आप सचमुच प्रोग्रेसिव हैं, हमारी पार्टी ने रिजॉल्यूशन पास करके आपके साथ हुए सलूक की कड़ी निंदा की है। लेकिन आई एम सॉरी.. आपके लिए हम कुछ नहीं कर पाएंगे। तस्लीमा नसरीन को शरण नहीं दे पाये तो आपको कहां से दे पाएंगे और वैसे भी बंगाल में हमारी सरकार भी नहीं है।
कबीर मुस्कुराये और रहना नहीं देस बिराना गाते हुए अपनी राह निकल पड़े। उसके बाद से मैने उन्हे कभी नहीं देखा। उधर कबीर पर देश भर में मचे बवाल के बाद दिल्ली में ऑल पार्टी मीटिंग हुई जिसमें यह प्रस्ताव पारित किया गया कि ऐसा सिरफिरा आदमी भारतीय नहीं हो सकता। उसे पकड़ा जाये और जहां जिस मुल्क का भी हो, वहां डिपोर्ट कर दिया जाय और अगर बदकिस्मती से वह भारतीय निकला तो उसे किसी पागलखाने में डाल दिया जाये।

(Guest Writer: Rakesh Kayasth)

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