वो लोग बेहद
नालायक थे
जानबूझ कर
खाते नहीं थे अच्छा खाना
कई बार तो
खाना खाते ही नहीं थे
जान के खतरे के बावजूद
पीते थे वो
उस गड्ढे का गंदा-बदबूदार पानी
कभी कभी पानी भी
पीते ही नहीं थे
वे इतने बेशर्म थे
कि उनके, उनके बच्चों
यहां तक कि
उनकी महिलाओं के जिस्म पर भी
नहीं होते थे कपड़े
वो बेहूदे जाहिल
अपने बच्चों को स्कूल भी
नहीं भेजते थे
दरअसल वो अक्सर
नहीं करते थे कोई काम भी
असलियत में वो कमबख्त
ज़िंदगी में
तरक्की चाहते ही नहीं थे
वो ढोंगी थे
बेईमान था
हरामखोर
वरना उस देश में
कभी कोई अनपढ़ नहीं था
कोई बेरोज़गार नहीं
कोई गरीब नहीं
और हां…
हकीकत में वहां
कभी कोई
भूख से नहीं मरा…
वो नालायक चाहते ही थे मर जाना…
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30-03-2013 मयंक

Love your cynicism.