मानेसर: पाणिनि आनंद

  आसमान से, पानी नहीं बरसा. भीगा है सिर खून कनपटियों से टपक रहा है सायरन चीर रहा है कानों को पुलिसवाला बिना देखे धुन रहा है, रुई की तरह आग किसने लगाई है- पूछ रहा है समीर जिसकी शादी तय हो चुकी है और वो ट्रेनिंग पर है.   आग किसी को नहीं पहचानती है और न किसी एक की बपौती होती है पहले … Continue reading मानेसर: पाणिनि आनंद