शोले की तरह भड़क उठता है विद्रोही मन

क्या कोई रोये और क्योंकर रोये  किसी अपने को जब मौजूदा बुर्जुआ निज़ाम मौत की नींद सुला दे किसी ज़ालिम की तरह कोई जज़्बात नहीं उभरे थे मेरे अंदर  और अफ़ज़ल का वह कमसिन बच्चा  उसकी हमराह तबस्सुम भी उसी की तरह  आंसू थामे रहे होंगे यूँ ही अपने अंदर शोले की तरह भड़क उठता है विद्रोही मन  जंग का करता है एलान, फ़तह की … Continue reading शोले की तरह भड़क उठता है विद्रोही मन