राम की शक्तिपूजा में पूरा सामन्तवाद है – कॅंवल भारती

बुद्ध ने अपने भिक्षुओं को हिदायत दी थी कि वे कभी भी उनके वचनों को छांदस (उस समय की सामन्ती भाषा) में न लिखें। निराला ने ‘राम की शक्ति पूजा’ छांदस हिन्दी (सामन्ती भाषा) में क्यों लिखी? उन्होंने नागार्जुन की तरह जनभाषा में कविता की रचना क्यों नहीं की? क्या इससे यह साबित नहीं होता कि निराला के सारे संस्कार सामन्ती थे? भाषा से ही … Continue reading राम की शक्तिपूजा में पूरा सामन्तवाद है – कॅंवल भारती