रेशम (by Shaleen Rakesh)
मेरी पलकों के तले तितलियों के चित्र हैं हर बार जब आँखें झपकता हूँ रंग उड़ने लग जाते हैं एक धुन सी सुनायी देती है जागो तो, जाग जाओ जब हम मिले थे तब मैं घास पर रेशमी कीड़े सा, तुम्हें खोजता था तब पर नहीं निकले थे हमारे ये सच है अब मेरी दस आँखें नहीं रहीं पर अगर होतीं तो तुम पर होतीं। Continue reading रेशम (by Shaleen Rakesh)