पेशानी पर पेशावर ! – पंकज परवेज़

एक 18 साल के जवान ने अपनी एके 47 से दर्जनों स्कूली बच्चों का बदन छलनी कर दिया एक और था जिसने अल्लाहो-अकबर का नारा लगाया और खुद को ही चिंदी-चिंदी उड़ा दिया तीसरे और चौथे ने उसे शहीद कहा ऐसी सलामी दी कि कई दर्जन और मासूम माँस के लोथड़ों में बदल गये ख़ून से तरबतर टिफिन, बस्तों और पानी की बोतलों में ज़िंदगी … Continue reading पेशानी पर पेशावर ! – पंकज परवेज़