मुर्दों के खिलाफ – Mayank Saxena

कुछ लोग ज़िंदा थे कुछ लोग थोड़ा कम ज़िंदा कुछ थोड़ा ज़्यादा ज़िंदा इन बहुत थोड़े लोगों के इर्द गिर्द इकट्ठा थे बहुत सारे मुर्दा लोग कुछ मुर्दा कुछ थोड़े कम मुर्दा कुछ… थोड़े ज़्यादा मुर्दा ज़िंदा लोग बहुत ज़्यादा ज़िंदा लोग थोड़ा कम ज़िंदा लोग लड़ते रहे मुर्दा होने तक मुर्दों के खिलाफ ज़िंदगी भर लगे रहे मुर्दों को जिलाने में कुछ को कम … Continue reading मुर्दों के खिलाफ – Mayank Saxena

अब वो घर में नहीं…सड़क पर झगड़ते हैं…संस्कारी हैं न!

ये वो इस्तीफा और चिट्ठी है, जो लाल कृष्ण आडवाणी ने राजनाथ सिंह को भेजी…इसमें बीजेपी के आदर्शवादी पार्टी होने की बात कही गई है। हालांकि वो बात भी ख़ुद में एक मज़ाक है लेकिन ये चिट्ठी बीजेपी के अंदरखाने में जो कुछ चल रहा है, उसका चेहरा है…आडवाणी ख़ुद ही एक निजी एजेंडे पर खफ़ा हैं लेकिन पार्टी की चाल बदलने की बात कर … Continue reading अब वो घर में नहीं…सड़क पर झगड़ते हैं…संस्कारी हैं न!

Learnprozess – Erich Fried

एरिच फ्रीड की 3 कविताएं अनुवाद – मयंक सक्सेना Learnprozess (सीखने का प्रक्रम) मैं कुछ नहीं हूं मैं हूं विश्व का आखिरी अस्तित्वहीन अपने समय की क्रांति का चीखा….एक प्रेरणा पाता कलाकार उन्होंने दोहराया तुम कुछ नहीं हो तुम आखिरी बचे अस्तित्वहीन प्राणी हो हमारी क्रांति में इस बार वो हताश था… ……………… Asche (राख) हां, मैं राख हूं.. अपनी ही आग की राख मैं … Continue reading Learnprozess – Erich Fried

खून खून खून – Mayank Saxena

खून खून खून सपनों का अरमानों को इंसानों का धर्म धर्म धर्म पुजारियों का मौलाना का सियासतदानों का आह आह आह रियाया की गरीबी की शऱाफ़त की वाह वाह वाह अमीरों की वज़ीरों की हुकूमत की Continue reading खून खून खून – Mayank Saxena

चम्पादक कथा: ख़बर, व्यूअर, बकरा, चम्पादक और इस्तीफा…

एबीसीडी चैनल पर मंत्री धनसल और भांजे पिंगला की कहानी चल रही थी…अचानक एक शेकिंग न्यूज़ अवतरित हुई… और फिलहाल की सबसे बड़ी ख़बर…आप देख रहे हैं सिर्फ एबीसीडी चैनल पर…झेल मंत्री हवन कुमार धनसल ने बकरी की पूजा की है…बकरी को खिलाई है ब्रेड…आप देख सकते हैं कि इस्तीफे की मांग के बीच फंसे धनसल कैसे टोने टोटके की मदद ले रहे हैं…बकरी की … Continue reading चम्पादक कथा: ख़बर, व्यूअर, बकरा, चम्पादक और इस्तीफा…

दंगा – मयंक सक्सेना ( Mayank Saxena)

दंगा *************** रात अंधेरा सन्नाटा शोर भीड़ आग चीखें … नारे चीखें आग ऱोशनी फिर रात अंधेरा सन्नाटा ********************* मयंक सक्सेना (4 मई, 1.26am) Continue reading दंगा – मयंक सक्सेना ( Mayank Saxena)

मैं एक एजेंट की बेटी हूं – Mayank Saxena

हां मैं एक एजेंट की बेटी हूं मेरा बाप एक खुफिया एजेंट था एक मेरे देश से दूसरे देश में भेजा गया था जासूसी करने के लिए वो पढ़ा लिखा नहीं था ज़्यादा उसे सिर्फ इतना पता था कि उसका एक देश है और वो उसके गांव में बिजली, नौकरी और रोटी नहीं दे पाता है वो देश उसे मौका दे रहा है देश सेवा … Continue reading मैं एक एजेंट की बेटी हूं – Mayank Saxena

मई दिवस – Mayank Saxena

कल सुबह श्यामल दादा का फोन आया, रविवार को मई दिवस के एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए। श्यामल दा, हालांकि रहने वाले पश्चिम बंगाल के हैं लेकिन नोएडा और दिल्ली दोनों के बीच बसी खोड़ा नाम की प्रवासी मजदूरों की बस्ती में उनके बीच काम करते हैं…वाकई गंभीर काम। एक पत्रिका भी निकालते हैं मजदूर संदेश नाम से और तमाम बार पुलिस, नेताओं … Continue reading मई दिवस – Mayank Saxena

हार बहुत ज़रूरी है – Mayank Saxena

हार बहुत ज़रूरी है आपको बताने के लिए कि हर मोर्चे पर आप जीत जाएं ये दुनिया इतनी भी आसान नहीं है ==================== कामरेड सुदीप्तो…. मैं ठीक तुम्हारी ही तरह मर जाना चाहता हूं लड़ते हुए चिल्लाते हुए बिना डरे औऱ बिना एक बार किए उफ़ हां कामरेड क्रांति की इमारत की नींव में भर जाना चाहता हूं मैं ठीक तुम्हारी तरह मर जाना चाहता … Continue reading हार बहुत ज़रूरी है – Mayank Saxena

नालायक लोग – मयंक

वो लोग बेहद नालायक थे जानबूझ कर खाते नहीं थे अच्छा खाना कई बार तो खाना खाते ही नहीं थे जान के खतरे के बावजूद पीते थे वो उस गड्ढे का गंदा-बदबूदार पानी कभी कभी पानी भी पीते ही नहीं थे वे इतने बेशर्म थे कि उनके, उनके बच्चों यहां तक कि उनकी महिलाओं के जिस्म पर भी नहीं होते थे कपड़े वो बेहूदे जाहिल … Continue reading नालायक लोग – मयंक