आज ईद…कल से रोज़े (लघुकथा)

असगरी का दुपट्टा अब अपना रंग गंवा कर, सफेद और मटमैले के बीच के किसी रंग का हो चला था। किनारे की ज़री, कब धागों में बदल गई…पता भी नहीं चला। दुपट्टा जब डालती तो लगता कि बस एक दिन उसके सारे बाल भी इसी रंग के हो जाएंगे… “और क्या तब तक इसी दुपट्टे से काम चलाना पड़ेगा? ले दे कर उसके पास एक … Continue reading आज ईद…कल से रोज़े (लघुकथा)

Mayank Saxena

इंटरव्यू (कहानी) – Mayank Saxena

वो बोले, “ठीक है, आपका सीवी हमारे पास है…वी विल कांटेक्ट यू वेनएवर नीडेड” वो इस जुमले का मतलब ठीकठाक समझता था, लेकिन उसे ये समझ नहीं आ रहा था कि उससे चूक कहां हो गई…उसका इंटरव्यू तो अच्छा ही गया था, फिर ऐसा क्यों कहा? वो चौथी मंज़िल से सीधे नीचे पहुंचा और रिसेप्शनिस्ट को एक मुस्कान दे कर सीधे बाहर चला आया, भूख … Continue reading इंटरव्यू (कहानी) – Mayank Saxena

हम साम्प्रदायिक मूर्ख हैं, और अपने बच्चों को वैसा ही बनाते हैं (सच्ची घटना)

हालांकि मेरे वो मित्र और बड़े भाई नहीं चाहते थे, फिर भी आज चूंकि ये घटना बेहद प्रासंगिक है, इसलिए साझा करना चाहूंगा….शायद पिछले साल 14 अगस्त का वाकया है… मेरी वो 12 साल की भतीजी, अपनी स्कूल बस में थी। रोज़ की ही तरह वो स्कूल गई थी, 14 अगस्त आज़ादी का दिन तो होता है, लेकिन हिंदुस्तान और पाकिस्तान ने आधी रात की … Continue reading हम साम्प्रदायिक मूर्ख हैं, और अपने बच्चों को वैसा ही बनाते हैं (सच्ची घटना)

नमामि व्यापम्! प्राण रक्षा मंत्र… – मयंक सक्सेना

कोई महामृत्युंजय मंत्र काम नहीं करेगा…अगर आप व्यापमं मामले में कुछ जानते हैं और बोलने वाले हैं…अगर आप इस पर कोई बयान या गवाही देने वाले हैं…पत्रकार हैं और स्टोरी कर रहे हैं….अगर आप सोशल मीडिया पर भी अतिसक्रिय हैं…तो यह व्यापमं रक्षा स्त्रोत आपकी रक्षा के लिए…इसका जाप 1001 बार ओइम् शिवराजाय नमामि के साथ करें…प्राण रक्षा करेगा…. त्वमेव तापम् त्वमेव शापम् करोतु जापम् … Continue reading नमामि व्यापम्! प्राण रक्षा मंत्र… – मयंक सक्सेना

Mayank Saxena

मैं लौटता हूं मगर लौट नहीं पाता – Mayank Saxena

मैं लौटता हूं मगर लौट नहीं पाता देखता हूं तो पाता हूं कि उनमें से कोई नहीं है वैसा जैसा छोड़ गया था मैं पेड़ों की ऊंचाई घटती रही और उसे पूरी करती रही बढ़ती ऊंचाई दीवारों की दोस्तों ने कहा था कि यहीं मिलेंगे और मिलते रहे वो अलग अलग शहरों में कितनी ही कहानियों के किरदार बदल गए और कहानियां भी नहीं बदले … Continue reading मैं लौटता हूं मगर लौट नहीं पाता – Mayank Saxena

आप दुर्भावना से प्रेरित हैं, अर्णब गोस्वामी – खुला पत्र

प्रिय अर्णब गोस्वामी, हालांकि आप सर्वसक्षम और सर्वशक्तिमान टीवी पत्रकार-सम्पादक और प्रस्तोता हैं, लेकिन फिर भी मैं नाचीज़ आपके हाल के ही एक बुलेटिन को देखने के बाद आप से कुछ सवाल और आपके कुछ सवालों के जवाब देने की हिमाकत कर रहा हूं। मैं जानता हूं कि आप इसके बदले में इतनी ज़ोर से चीख सकते हैं कि मेरी समझ और सोच की शक्ति … Continue reading आप दुर्भावना से प्रेरित हैं, अर्णब गोस्वामी – खुला पत्र

सुभाषचन्द्र बोस और जवाहरलाल नेहरू – Mayank Saxena

सुभाषचन्द्र बोस और जवाहरलाल नेहरू – ये पूरी बहस पिछले लगभग 75-80 साल से चलती आ रही है…सवाल ये है कि हम इस मामले को क्या रेशनल हो कर देखते हैं…तो हम कैसे रेशनल हो कर देख सकते हैं…क्योंकि हम उस वक्त थे नहीं…ऐसे में रेशनल होने के लिए निष्पक्ष तर्क अपनाने के लिए सभी को पढ़ना पड़ेगा…सब यानी कि सिर्फ वो लोग नहीं, जो … Continue reading सुभाषचन्द्र बोस और जवाहरलाल नेहरू – Mayank Saxena

चम्पादक कथा: विकास की सेल्फी – Mayank Saxena

    माननीय ने तय किया था कि जिस चौथे खम्भे की रंगाई पुताई कर के उसका हुलिया ही बदल देने में उन्होंने (उनके प्रायोजकों ने) करोड़ों खर्च किए थे, उनसे भी मिल लेंगे। माननीय को देश का सबसे बड़ा वक्ता (भाषणबाज़) बनना था और वो चाहते थे कि वो हर कहीं से भाषण देते हुए, हर कहीं दिखाई दे। वो बचपन से ही वक्ता … Continue reading चम्पादक कथा: विकास की सेल्फी – Mayank Saxena

पाकिस्तान को रात 12 बजने से पहले आज़ादी के दिन की मुबारकबाद दे दीजिएगा – Mayank Saxena

    14th August   पिछले 65 सालों में जम्हूरियत के लिए जो संघर्ष पड़ोसी मुल्क के हमारे भाई-बहनों और साथियों ने किया है…वो हमने नहीं किया…न ही उतनी दिक्कतें झेली हैं…हमको सलाम करना चाहिए उस अवाम को जो गोलियां खाती है…फांसी पर चढ़ती है…तालिबान से लोहा लेती है…जहां नाहिदा किश्वर हैं…जहां फै़ज़ थे…हबीब जालिब थे…अहमद फ़राज़ थे…इक़बाल बानो थीं…जहां मलाला है…जहां लगातार एक जंग … Continue reading पाकिस्तान को रात 12 बजने से पहले आज़ादी के दिन की मुबारकबाद दे दीजिएगा – Mayank Saxena