Still I Rise – फिर से उठती मैं हूँ खुद अपनी बुलंदी बनकर (माया एंजिलो )

झूट और मक्र की चादर में लिटा कर मुझको ग़र्क करदो मुझे इतिहास के पन्नो अभी रौंद कर क़दमो तले धूल बना दो मुझको जिस तरह धूल उठे मैं भी उठूँगी फिर से तुम मेरे अज़्म से बतलाओ कि डरते क्यों हो ? इतने नाशाद हो क्यों इतने परेशां क्यों हो ? ‘क्योंकि हर एक कदम मेरा बताता है तुम्हे जैसे मैं तेल का एक … Continue reading Still I Rise – फिर से उठती मैं हूँ खुद अपनी बुलंदी बनकर (माया एंजिलो )