बस्तर में इंसान और लाश का फर्क फकत एक संयोग है: आशुतोष भारद्वाज
मार्च के आखिरी दिनों में बस्तर के पेड़ जब पत्तियां झरा चुकते हैं, धूप तुनकती है जंगल जल उठता है. रात किसी राह से गुजरते में आग की महीन कौंधती लकीर पेड़ों के दरमियाँ सांप सी सरकती है. क्या किसी ने बारूद बिछाया है? जमीन के नीछे छुपी बारूदी खंदक सुलगी है? मंडराती मौत? शुरू दफा ऐसा ही लगता है. बस्तर में आग फकत मौत … Continue reading बस्तर में इंसान और लाश का फर्क फकत एक संयोग है: आशुतोष भारद्वाज