सवाल प्रतिनिधित्व का है, आरक्षण का नहीं – कँवल भारती (Kanwal Bharti)

नामवर सिंह ने गत दिनों दस किताबों का विमोचन किया। उनमें एक किताब दलित लेखक अजय नावरिया की थी। दसों किताबें सवर्णों की होनी चाहिए थीं। उनमें एक दलित कैसे घुस गया? प्रकाशक की यह मजाल कि वह सवर्णों की जमात में दलित को खड़ा कर दे! बस नामवर सिंह का पारा चढ़ गया। वह जितना गरिया सकते थे, उन्होंने दलित को गरियाया। फिर उन्होंने … Continue reading सवाल प्रतिनिधित्व का है, आरक्षण का नहीं – कँवल भारती (Kanwal Bharti)