समय रे समय! – मृत्युंजय प्रभाकर
समय रे समय! 6/03/2013 ह्यूगो चावेज़ को समर्पित समय की खूंटी पर नंगी लाश टंगी है खून पसरा है फर्श पर दीवालों पर छीटें बिखरे हैं जलते लोथड़े फैले हैं इधर-उधर जबकि टेबल पर बोतल खुली है और पलंग पर जांघें कहते हैं यहाँ सभ्यता बसती है। मृत्युंजय प्रभाकर Continue reading समय रे समय! – मृत्युंजय प्रभाकर