बाढ़-टूरिज्म – Iqbal Abhimanyu

देखा है किसी शहर को डूबते हुए? चौखटों, आंगनों, दीवारों, किलकारियों, झल्लाहटों को ‘गड़प’ से मटमैले पानी में गुम हो जाते देखा है? सर पर बर्तन-भांडे, संसार का बोझ लिए लड़खड़ाती औरतों को देखा है? लाइन में लग बासी पुरियों और सड़े आलुओं की सब्जी लेते स्कूल ड्रेस में खड़े बच्चे के कीचड खाए पैरों को देखा है? देखा है गौमाता की सडती लाशों पर … Continue reading बाढ़-टूरिज्म – Iqbal Abhimanyu

उसके अलावा कुछ भी नहीं – राजेन्द्र राजन

चिड़िया की आंख शुरु से कहा जाता है सिर्फ चिड़िया की आंख देखो उसके अलावा कुछ भी नहीं तभी तुम भेद सकोगे अपना लक्ष्य सबके सब लक्ष्य भेदना चाहते हैं इसलिए वे चिड़िया की आंख के सिवा बाकी हर चीज के प्रति अंधे होना सीख रहे हैं इस लक्ष्यवादिता से मुझे डर लगता है मैं चाहता हूं लोगों को ज्यादा से ज्यादा चीजें दिखाई दें … Continue reading उसके अलावा कुछ भी नहीं – राजेन्द्र राजन