कुछ भी मारो बस आँख मत मारो – बोधिसत्व

  (मर्यादावादियों के लिए एक नया राष्ट्रगान) गोरक्षक बन कर मारो गोमांस के नाम पर मारो काश्मीर में सरकार बन कर मारो बेरोजगारी से मारो बेरोजगार की मारो मंदिर के नाम पर मारो बस आँख मत मारो। नोट बंद कर मारो लाइन में लगा कर मारो कर्ज से किसान मारो बोल वचन से मारो हंस कर और हंसा कर मारो उल्टे सीधे फंसा कर मारो … Continue reading कुछ भी मारो बस आँख मत मारो – बोधिसत्व