धर्म में लिपटी वतन परस्ती क्या क्या स्वांग रचाएगी -गौहर रज़ा

‪#‎IStandWithGauharRaza‬ ‘धर्म में लिपटी वतन परस्ती क्या क्या स्वांग रचाएगी मसली कलियाँ, झुलसा गुलशन, ज़र्द ख़िज़ाँ दिखलाएगी यूरोप जिस वहशत से अब भी सहमा सहमा रहता है खतरा है वह वहशत मेरे मुल्क में आग लगायेगी जर्मन गैसकदों से अबतक खून की बदबू आती है अंधी वतन परस्ती हम को उस रस्ते ले जायेगी अंधे कुएं में झूट की नाव तेज़ चली थी मान लिया … Continue reading धर्म में लिपटी वतन परस्ती क्या क्या स्वांग रचाएगी -गौहर रज़ा

अख़लाक़ के फ्रिज में रखी थी रोहित की अस्थियां – Mayank Saxena

अख़लाक़ के फ्रिज में रखी थी रोहित की अस्थियां और उसकी फैलोशिप एक गाय के पेट में गाय का पेट था नागपुर की तिजोरी में और नागपुर है लिपटा गेरुए कपड़े में ख़ाकी धागे से बंधा आग लगती है तो सबसे पहले पानी डाला जाता है गेरुए कपड़े पर और भीग जाती है अंदर रखी गाय रोहित की अस्थियां और अख़लाक का फ्रिज दोनों को … Continue reading अख़लाक़ के फ्रिज में रखी थी रोहित की अस्थियां – Mayank Saxena

मैंने तेरा खत पढ़ा – Swanand Kirkire

मैंने तेरा खत पढ़ा और रहा में चुप खड़ा तू आया रोया मर गया तू लड़ गया सूली चढ़ा सितारों की तू धुल था तू जंगलों का फूल था मैं सदियों का फंसा हुआ मैं सदियों का धंसा हुआ सड़ा हुआ सही मगर मेरा भी एक उसूल था विज्ञान मेरी जेब में और ज्ञान मेरे सर चढ़ा वो तुझको ना बचा सका जो कुछ भी … Continue reading मैंने तेरा खत पढ़ा – Swanand Kirkire

We must replace the constitution with his suicide note – Akhu Chingangbam

  A fascist university, A body hanged in the dormitory A saffronised country Writing the same old history In favour of casteism Killing Muslims, Dalits Yesterday they killed a Dalit His name was Rohith We must replace the constitution With his suicide note.   Continue reading We must replace the constitution with his suicide note – Akhu Chingangbam

मेरी माँ का इतिहास

1. मेरी माँ बताती है मेरे पूर्वज डांगर खाते थे. और बड़ी जातियों के विवाह में बचा बासी भोजन माँ ने बताया हमारे रिश्तेदारों के घर या तो दक्षिण में थे या उत्तर में आज भी उनके घर कमोबेश उसी दिशा में होते हैं मेरा भी घर गावं के दक्खिन ही है. 2. पता पूछने पर न चाहते हुए भी लोग जान जाते हैं हमारी … Continue reading मेरी माँ का इतिहास

सब गाइए…कौन गाएगा? – Mayank Saxena

पंच हुए बेईमान, दिया वरदान बने हैं ठग देखो परधान राजा है अनजान प्रजा परेशान शरम से झुक्का हिंदुस्तान तर्क की होती हार है बंटाधार हुआ अंधों का बेड़ापार रात हुई घनघोर मचा है शोर करे है मन की बात से बोर भक्तों की पहचान है गालीदान बड़े जन करते चारणगान जंगल में है सोग है फैला रोग करे है डाकू संत को ढोंग पढ़ी … Continue reading सब गाइए…कौन गाएगा? – Mayank Saxena