Category: Hindi feminist Poetry
Dastoor- Habib Jalib
Protest Song | Pash – Eminem | Sabse Khatarnak – Not Afraid
हस्तमैथुन (Masturbation) – Mayank Saxena
यौवन मेरा न संभले है हूं अधेड़ फिर भी उबले है मैं मत्त मदांध लेकर सड़ांध बन आज आम बौराया हूं हॉस्टल के द्वार खिड़की के पार हस्तमैथुन करने आया हूं हां, वही वही मस्टरबेशन करतें हैं जिसको सारे जन मैं बेच लाज आया हूं आज इसको दिखलाने तुमको भी ये राज़ बताने तुमको भी मेरा पौरुष हुआ निरंकुश अब गटर सा मैं उफ़नाया … Continue reading हस्तमैथुन (Masturbation) – Mayank Saxena
रन्डी-वैश्या, कुत्ते, नक्सली, आतंकवादी!
मैने कहा, वो एक महिला है, उसने कहा- ” रन्डी-वैश्या”. मैने कहा, वो रहे दलित, उसने कहा- ” कुत्ते..” मैने कहा, वो रहे आदिवासी, वो बोला- ” साले नक्सली.” ये कश्मीरी, मैने कहा, उसने कहा- ” पथभ्रष्ट आतंकवादी.” ये कुछ किसान, मैने कहा, वे बोले- ” भूत-प्रेतों से भयभीत, बुजदिल लव में नाकाम ” . मैने कहा , ये चन्द छात्र है, उसने कहा, … Continue reading रन्डी-वैश्या, कुत्ते, नक्सली, आतंकवादी!
धर्म में लिपटी वतन परस्ती क्या क्या स्वांग रचाएगी -गौहर रज़ा
#IStandWithGauharRaza ‘धर्म में लिपटी वतन परस्ती क्या क्या स्वांग रचाएगी मसली कलियाँ, झुलसा गुलशन, ज़र्द ख़िज़ाँ दिखलाएगी यूरोप जिस वहशत से अब भी सहमा सहमा रहता है खतरा है वह वहशत मेरे मुल्क में आग लगायेगी जर्मन गैसकदों से अबतक खून की बदबू आती है अंधी वतन परस्ती हम को उस रस्ते ले जायेगी अंधे कुएं में झूट की नाव तेज़ चली थी मान लिया … Continue reading धर्म में लिपटी वतन परस्ती क्या क्या स्वांग रचाएगी -गौहर रज़ा