आँखें (by Shaleen Rakesh)
तुम ही थे मुझसे पहले हमसे पहले उससे भी पहले जब डर जैसा शब्द मेरे होंठों पे चुभा करता था वो डर जो मुझसे अक्सर लड़ा करता था और मुझे बेज़ार छोड़ आता था वहां जहाँ तुम्हारी आँखें टिकती थीं Continue reading आँखें (by Shaleen Rakesh)
तुम ही थे मुझसे पहले हमसे पहले उससे भी पहले जब डर जैसा शब्द मेरे होंठों पे चुभा करता था वो डर जो मुझसे अक्सर लड़ा करता था और मुझे बेज़ार छोड़ आता था वहां जहाँ तुम्हारी आँखें टिकती थीं Continue reading आँखें (by Shaleen Rakesh)
बाहर आंधी में तुम्हें बैठे देखा पहने हुए मेरे प्यार का स्वेटर जिसमें बुनी थीं सालों की धूप और प्यास बाहर खिड़की से तुम्हें बैठे देखा वो मैंने बुना था उसे मैंने चुना था जो तुम पहने बैठे रहे वो प्यार मेरा था हमारा था मुझे फिर से वो चाहिए मुझे चाहिए वो स्वेटर जिसमे मेरी धुप और प्यास जड़ी हैं Continue reading मेरा वो स्वेटर (by Shaleen Rakesh)
मेरी पलकों के तले तितलियों के चित्र हैं हर बार जब आँखें झपकता हूँ रंग उड़ने लग जाते हैं एक धुन सी सुनायी देती है जागो तो, जाग जाओ जब हम मिले थे तब मैं घास पर रेशमी कीड़े सा, तुम्हें खोजता था तब पर नहीं निकले थे हमारे ये सच है अब मेरी दस आँखें नहीं रहीं पर अगर होतीं तो तुम पर होतीं। Continue reading रेशम (by Shaleen Rakesh)