हस्तमैथुन (Masturbation) – Mayank Saxena

 

यौवन मेरा न संभले है
हूं अधेड़ फिर भी उबले है
मैं मत्त मदांध
लेकर सड़ांध
बन आज आम बौराया हूं
हॉस्टल के द्वार
खिड़की के पार
हस्तमैथुन करने आया हूं

हां, वही वही मस्टरबेशन
करतें हैं जिसको सारे जन
मैं बेच लाज
आया हूं आज
इसको दिखलाने तुमको भी
ये राज़ बताने तुमको भी
मेरा पौरुष
हुआ निरंकुश
अब गटर सा मैं उफ़नाया हूं
मैं गिद्ध दृष्टि
मैं अम्ल वृष्टि
हस्तमैथुन करने आया हूं

नारों में मेरे भगवान ही था
और मन में मेरे शैतान ही था
मैं मर्द बड़ा
बेदर्द खड़ा
छाती तेरी ताकने अड़ा
कपड़ों में बस झांकने खड़ा
मैं धर्मनिष्ठ
भाषा में क्लिष्ट
संस्कारी देश की छाया हूं
यज्ञोपवीत
कल्पनातीत
हस्तमैथुन करने आया हूं

मर्दाना जोश का इश्तेहार
मैं पूरे सोलह सोमवार
स्त्री है क्या
बस भोग्या
बाहुबल मेरा देख ज़रा
कुंठा में हूं आकंठ भरा
मैं धर्मवीर
खेंचता चीर
पौराणिक कथा का जाया हूं
अधरों पे गाली
नीयत ले काली
हस्तमैथुन करने आया हूं

तू बनती है क्रांतिकारी
सुन मेरी है दुनिया सारी
ये है धर्मशक्ति
ये है भीरूभक्ति
मेरे साथ खड़ा सारा समाज
मेरे ईगो को दे मसाज
मैं तिलक लगा
मैं घृणा पगा
विरसे में ये लक्षण पाया हूं
सारे पुराण
खंज़र-कृपाण
हस्तमैथुन करने आया हूं

हूं दाएं हाथ में ग्रंथ लिए
और बाएं कर को लिंग दिए
खुजली महान
चुप कर के मान
है विधि सम्मत मेरा बलात्कार
तेरी चुप्पी, तेरा शिष्टाचार
यह वस्त्र तेरे
उकसावे मेरे
सदियों से कह भरमाया हूं
मेरा लिंग देव
यही एकमेव
हस्तमैथुन करने आया हूं

धर्मों में मेरा बड़ा मान
गर्वोन्मत छाती फुला तान
मेरे ये हाथ
फ़ब्ती के साथ
छाती तेरी थामने बढ़े
सबके ही ये सामने बढ़े
वीसी-प्रधान
मालिक मकान
इनकी इच्छा की काया हूं
मैं हूं घर-घर
मैं परमेश्वर
हस्तमैथुन करने आया हूं

यहां मुझको रोके कौन है जो
मुझसे ही हैं, अब मौन है जो
मेरा है देश
सारा क्लेश
मैं ही चुनाव हूं, वोट भी हूं
मैं हूं नेता, मैं नोट भी हूं
क्या आज़ादी
चल कर शादी
बोतल तेज़ाब भर लाया हूं
लूं तुझे भोग
या दंड भोग
हस्तमैथुन करने आया हूं

कविता पर ताली आए मगर
तू घर से निकाली जाए मगर
करतल प्रहार
झूठे हैं यार
ये जो कहता है बुरा हुआ
ये अंदर से है डरा हुआ
देखेंगे मौन
रोकेगा कौन
इन सबके मन की माया हूं
मैं मठाधीश
मैं उठाशीश
हस्तमैथुन करने आया हूं

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