गांधी ने अहिंसक प्रश्न किया
मेरा चरखा तुम लोगे
तो मेरी सादगी मेरी अहिंसा
मेरा डंडा और गोली
कौन लेगा ?
जिनसे हुआ था प्रश्न वे तो रहे निरुत्तर
फिर गोडसे का आया आसमानी उत्तर
हम तुमको फिर देंगे वैसी ही मौत
रखो अपनी उत्तेजना पर काबू…..
हे भोले बापू….
हम सब कुछ तुम्हारी लाश पर करेंगे
पहले गोली से मारा अब भक्ति से मारेंगे
ऐसे सटीक और साहस भरे
उत्तर से बापू संतुष्ट हो गए
उन्हें यकीन हो गया कि उनका भारत
सुरक्षित हाथों में है
और बापू सदैव के लिए फिर सो गए
बापू के स्थान पर
बापू के हत्यारे
सर्वत्र पूज्य बापू हो गए
पुलकित जनता हंसती बजाती रही ताली
इस तरह भरी गई बापू की जगह खाली ।
बोधिसत्व, मुंबई