लालकृष्ण आडवाणी से दयाशंकर तक, बिहार में ही जाकर ये गिरफ्तार क्यों होते हैं?

लालकृष्ण आडवाणी से दयाशंकर तक, बिहार में ही जाकर ये गिरफ्तार क्यों होते हैं?

20 अक्टूबर, 1990: आडवाणी रथ यात्रा से विराम लेकर दिल्ली आते हैं. अगले दिन फिर यात्रा के लिए फ्लाइट पकड़नी है. बिहार के सीएम लालू प्रसाद आडवाणी को समझाने के लिए दिल्ली आते हैं. कहते हैं कि रोक दीजिए. आप जहां जहां से गुजर रहे हैं, पीछे खून के निशान नजर आ रहे हैं. सैकड़ों निर्दोष लोग मारे जा चुके हैं. आडवाणी कहते हैं – रुकना तो संभव नहीं है.

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दूसरी फोटो उसी मीटिंग की है.

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23 अक्टूबर, 1990- रथयात्रा बिहार के समस्तीपुर में है. लालू प्रसाद पुलिस को आदेश देते हैं, बस एक कदम भी आगे और नहीं. बिहार से निकलकर यूपी पहुंच गए तो हजारों लोग मारे जाएंगे. यहीं रोकना होगा. हर कीमत पर. हर हाल में.

आडवाणी गिरफ्तार कर लिए जाते हैं. रथ यात्रा का अंत हो जाता है.

उसके 26 साल बाद यूपी के लंपट दयाशंकर को गिरफ्तार करने का दायित्व एक बार फिर बिहार पर आता है. और बिहार ने यह कर दिखाया.

दयाशंकर गिरफ्तार हो चुका है. अब बाकी काम यूपी पुलिस को करना है. मारना-पीटना नहीं चाहिए. कानून की मर्यादा का ख्याल रखा जाना चाहिए.

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