मैंने तेरा खत पढ़ा – Swanand Kirkire

मैंने तेरा खत पढ़ा
और रहा में चुप खड़ा

तू आया रोया मर गया
तू लड़ गया सूली चढ़ा

सितारों की तू धुल था
तू जंगलों का फूल था

मैं सदियों का फंसा हुआ
मैं सदियों का धंसा हुआ

सड़ा हुआ सही मगर
मेरा भी एक उसूल था

विज्ञान मेरी जेब में
और ज्ञान मेरे सर चढ़ा

वो तुझको ना बचा सका
जो कुछ भी था मैंने पढ़ा

अभी तलक वहीँ हूँ मैं
उफ़ बदला ही नहीं हूँ मैं

मेरे कानों जूँ न रेंगी
हाय मैं देश हूँ बहोत बडा

Leave a comment