आज महान गीतकार शैलेंद्र का जन्मदिन है।

अपने 43 के छोटे जीवन में लगभग 800 बेहतरीन फिल्मी गीत लिखने वाले शैलेंद्र सिनेमा की दुनिया में हिंदी के सबसे बड़े प्रतिनिधि थे। प्रेमचंद से लेकर मनोहर श्याम जोशी तक हिंदी के ना जाने कितने लेखकों और कवियों ने मायानगरी से नाता जोड़ा, लेकिन इनमें से ज्यादातर लोग लंबे समय तक टिक नहीं पाये। लेकिन शैलेंद्र इकलौते ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होने गैर-फिल्मी साहित्यिक लेखन और फिल्मी नग़मों को समान रूप से साधा।
https://www.youtube.com/watch?v=VY1pWTek2sY
https://www.youtube.com/watch?v=oT9kqNvaUoQ
https://www.youtube.com/watch?v=5wjGc1zGWBc
https://www.youtube.com/watch?v=zcHUGc8yHak
https://www.youtube.com/watch?v=b543r0E8ciI
https://www.youtube.com/watch?v=k_002K49S10
पॉपुलर लिटरेचर से द्वेष रखना हिंदी की दुनिया का पुराना मर्ज है। इसलिए कथित साहित्यकारों की दुनिया में शैलेंद्र को कभी वो मान्यता नहीं मिले, जिसकी वे हक़दार थे। लेकिन सच ये है कि शिल्प और कथ्य के लिहाज से उनसे जैसे कवि बहुत कम हुए हैं। उनके फिल्मी नग़में आज भी सबको याद हैं। फिल्मों से अलग शैलेंद्र ने और भी बहुत कुछ लिखा था।
आज़ादी की छठी सालगिरह पर लिखी गई उनकी कविता की कुछ लाइनें शेयर कर रहा हूं। अगर एकाध शब्द इधर-उधर हो गयें हों.. तो उसके लिए माफी
छह साल की इस आज़ादी ने
इस रंग-रंगीली गादी ने
कुछ ऐसा मंतर फेरा है
हर दूजे पहर सवेरा है
इस रामराज में सब खुश हैं
हम नये समय के लव-कुश हैं
रावण ना मरा लंका न जली
खुद घर लौट आई जनकलली
ना सेतु बंधा ना पूंछ जली
मंत्री हैं, श्री बजरंगबली