68 साल का मुल्क, 18 साल का नौजवान होता है – राकेश कायस्थ

Ambedkar

मुल्क की जिंदगी में 68वें साल की कुछ वैसी ही अहमियत है, जैसे किसी नौजवान की जिंदगी में 18 वें साल की। गिरता-संभलता, लखड़खडाता और लड़कपन की गलतियों को भुलाता भारत अपने अनगिनत सपनों के साथ नई मंजिल की तरफ बढ़ने को बेताब है। ये सच है कि देश हमेशा व्यक्ति से बड़ा होता है। लेकिन ये भी सच है कि व्यक्ति के बिना देश नहीं बनता है। स्वतंत्र भारत की बुनियाद में कई लोगो ने ईंट जोड़ी है। लेकिन दीर्घकालिक असर के हिसाब से देखें तो आधुनिक भारत के निर्माता के तौर पर तीन लोगों के नाम जेहन में आते हैं, नेहरू, पटेल और आंबेडकर।

gandhi-nehru-patel-1-14

भारतीयता को उसकी संपूर्णता में समझने वाला पंडित जवाहरलाल नेहरू जैेसा व्यक्ति दूसरा व्यक्ति इस देश में नहीं हुआ। भारत के लिए नेहरू के योगदान को तमाम तरह के सस्ते दुष्प्रचारों के बावजूद छोटा नहीं किया जा सकता है। चीन और कश्मीर की नाकामियों के बावजूद नेहरू के एक ऐसे विदेश नीति-निर्माता के रूप में याद किया जाएगा, जिनकी वजह से भारत को एक अलग अंतरराष्ट्रीय व्यक्तित्व मिला। बंटवारे के बाद पैदा हुई बेइंतहा नफरत के माहौल में भी नेहरू ने भारत की सदियों पुरानी बहुलवादी परंपरा को बरकार रखा और इस देश को हिंदू पाकिस्तान बनने से रोका। इसरो से लेकर आईआईटी तक आज भारत जिन संस्थानों पर नाज करता है, उन सबकी बुनियाद नेहरू के कार्यकाल में ही रखी गई।


large-Pandit Nehru and Maulana Abul Kalaam Azaad
maulana-abul-kalam-azad_15_24 nehru images wpid-img-20141126-wa0023


देश का राजनीतिक एकीकरण सरदार पटेल के बिना संभव नहीं होता। बड़ी शख्सियतें वहीं होती हैं, जो महान उदेश्यों के लिए तमाम मतभेद भुलाकर काम करती हैं। समाजवादी रूझान वाले नेहरू के मुकाबले पटेल को हमेशा दक्षिणपंथी माना गया। लेकिन बड़े ऐतिहासिक फलक पर देखें तो यही लगता है कि सरदार पक्के उसूलों वाले एक कड़क राजनेता थे, जिन्हे देश की बेहतरी के लिए बड़े फैसले लेना आता था। आधुनिक भारत के निर्माण में नेहरू और पटेल की भूमिकाएं एक-दूसरे से बहुत अलग थी और ये गांधी की दूरंदेशी थी, जिन्होने इन दो अलग व्यक्ति्व वाले नेताओं को मिलकर काम करने को प्रेरित किया।

images (1)


आधुनिक भारत के निर्माण की कोई बात बी.आर.आंबेडकर के बिना अधूरी है। अनगिनत पूर्वाग्रह और दुराग्रहों वाले समाज ने कभी भी आंबेडकर का उनका क्रेडिट नहीं दिया। लेकिन ये सच है कि समाज और देश पर दीर्घकालिक सकारात्मक असर के मामले में आंबेडकर का योगदान शायद सबसे ज्यादा था। भारत को एक बेहतरीन संविधान देने के अलावा आंबेडकर एक ऐसी शांतिपूर्ण क्रांति के अगुआ बनें, जिसकी वजह से हाशिये पर पड़े करोड़ो लोगो की जिंदगियां बदल गईं। जो देश अपने नायकों के योगदान को उसकी समग्रता में समझता है, वही आगे बढ़ता है। स्वतंत्रता दिवस पर आधुनिक भारत के सभी निर्माताओं को नमन।

Leave a comment