एक 18 साल के जवान ने
अपनी एके 47 से
दर्जनों स्कूली बच्चों का
बदन छलनी कर दिया
एक और था
जिसने अल्लाहो-अकबर का नारा लगाया
और खुद को ही
चिंदी-चिंदी उड़ा दिया
तीसरे और चौथे ने
उसे शहीद कहा
ऐसी सलामी दी
कि कई दर्जन और मासूम
माँस के लोथड़ों में बदल गये
ख़ून से तरबतर टिफिन, बस्तों और पानी की बोतलों में
ज़िंदगी भर ज़िंदगी ढूंढते रहेंगे उनके अभागे माँ-बाप
यह सब पेशावर में हुआ
लेकिन पेशावर है ही कितनी दूर..?
सोचता हूँ
कौन बचायेगा मुसलमानों को
इन इस्लामवालों से !
शायद ज़माना ही ख़राब है
हिंदू ही कहा बच पाये हैं
हिंदुत्ववालों से!
