25th December
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जन्मदिन की शुभकामनाएं। अपनी भाषण शैली से लोगों को मोह लेने वाले अटली जी का यूं चुपचाप बिस्तर पर पड़ जाना बेहद सालता है। मेरी दुआ है कि वे जल्द ठीक हो जाएं। उनकी वाणी फिर से जागृत हो। ऐसा हुआ तो उनका इंटर्व्यू लेने की मेरी बहुत पुरानी इच्छा पूरी हो सकती है। नीचे कुछ सवाल हैं जो मैं उनसे पूछना चाहता हूँ-
1….. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद तोड़ी गई। आपने दुख जताया था। लेकिन फिर पूरे रामजन्मभूमि आंदोलन को ‘राष्ट्रीय भावना का प्रकटीकरण’ बता दिया। क्या आपके ‘राष्ट्र और उसकी भावनाओं’ में मस्जिदों के लिए कोई जगह नहीं है?
2…..आपके मुताबिक आपको 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद तोड़ने की किसी योजना की जानकारी नहीं थी। फिर एक दिन पहले यानी 5 दिसंबर को लखनऊ में अमीनाबाद में आपके भाषण का क्या मतलब था, जिसमें आपने कहा था—‘ सुप्रीम कोर्ट ने यही कहा है कि आप वहां भजन कर सकते हैं। कीर्तन कर सकते हैं। अब भजन एक व्यक्ति नहीं करता। भजन होता है तो सामूहिक होता है। कीर्तन के लिए तो और भी लोगों की आवश्यकता होती है। और भजन कीर्तन खड़े-खड़े नहीं हो सकते। कब तक खड़े रहेंगे? वहां नुकीले पत्थर निकले हैं। उन पर तो कोई नहीं बैठ सकता। तो जमीन को समतल करना पड़ेगा। बैठने लायक बनाना पड़ेगा। यज्ञ का आयोजन होगा। तो कुछ निर्माण भी होगा। कम से कम वेदी तो बनेगी।’
3….2002 के गुजरात दंगों के बाद आपने नरेंद्र मोदी को राजधर्म की याद दिलाई थी। लेकिन फिर यह भी कह दिया कि मोदी राजधर्म निभा रहे हैं। अगर आप वाकई दुखी थे तो फिर गोवा कार्यकारिणी में ‘क्रिया की प्रतिक्रिया होती है’ जैसे सिद्धांत की याद क्यों दिलाई..? क्या गुजरात का नरसंहार आपकी नजर में किसी गेंद के दीवार से टकराकर वापस आने जैसा ही था ?
4…..आपकी सेक्युलर छवि गढ़ने वालों का दावा है कि आप नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटाना चाहते थे। फिर हटाया क्यों नहीं ? अटल क्यों नहीं रह सके? ऐसा कोई संदेश क्यों नहीं दिया जैसे कि ‘न टायर, न रिटायर, आडवाणी के नेतृत्व में विजय के लिए प्रस्थान’ कहते वक्त दिया था। या ये दावा सिर्फ शिगूफा ही है ?
अटल जी आपका सच, आपके मुंह से सुनना चाहता हूँ। कहते हैं कि आप नेहरू की दिल से इज्जत करते थे…उनके जैसा बनना चाहते थे…फिर वे कौन थे जिन्होंने आपके दिमाग पर काबू कर लिया था ? काश! आप बता पाते।
( डॉ. पंकज श्रीवास्तव के बारे में कुछ और करीब 15 सालों से पत्रकारिता में सक्रिय डॉ.पंकज श्रीवास्तव आईबीएन7 में एसोसिएट एडिटर हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इतिहास में डी.फिल करने के साथ उन्होंने मशहूर हिंदी दैनिक अमर उजाला से पत्रकारिता की शुरुआत की। पहले कानपुर और फिर लखनऊ ब्यूरो से जुड़कर उत्तर प्रदेश की राजनीति और दलित उभार पर विशेष रिपोर्टिंग की। 2003 की शुरुआत के साथ स्टार न्यूज की लॉन्चिंग टीम के हिस्सा बने। कुछ दिन वाराणसी और फिर चैनल का लखनऊ ब्यूरो संभाला। स्टार न्यूज में रहते हुए देश भर में घूम-घूम कर ट्रैवलॉग करने के लिए खासतौर पर पहचाने गए। सितंबर 2007 में सहारा के राष्ट्रीय न्यूज चैनल ‘समय’ की लॉन्चिंग टीम में शामिल हुए, जहां बतौर फीचर एडीटर और एंकर काम करने के बाद मार्च 2008 से आईबीएन7 में कार्यरत।)
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