कुछ लोग हैं जिनका धंधा चलता ही रहा है.
हर युग में सिर्फ़ धंधा चला रहे थे
कोई आये कोई जाए, आँखों के सामने अत्याचार होता रहा
मगर वो सोता रहा, धंधा जागता रहा
यूनानी, मंगोल, अफ़ग़ान, मुग़ल, पुर्तगाली, फ़्रांसिसी, ब्रिटिश
आज़ादी से पहले, आज़ादी के बाद बस धंधा चलता रहा
उसने सिकंदर के फौजियों का भी उसी उत्साह से स्वागत किया
जितना दांडी मार्च के मेले में भजिया बेच कर सेनानियों का किया था
उसने धंधे में कफ़न भी बेचे, मंदिरों के बाहर आस्था भी बेचीं
उसने वो तलवार भी बेचीं जिस से पीर साहब का क़त्ल हुआ
वो आज उन्ही की मज़ार के बाहर चादर बेच का धंधा चला रहा है
कभी कभी पुण्य कमाने के लिए दान भी कर दिया करता है
उसने मुफ़्त में पेट्रोल भी बांटा था
एक हज़ार साल बाद ग़ज़नी की सेना को जलाने के लिए
नरोडा पाटिया में ग़ज़नी की सेना जल रही थी,
बलात्कार की चीख, बच्चों का रोना, बूढों का गिड़गिड़ाना
सुन कर धंधा करने वालों को महाराणा प्रताप जैसा आभास हो रहा था
धंधा करने वालों को धंधे के सिवा कुछ नहीं दिखता
वो आकाश बेच सकते हैं, पहाड़ बेच सकते हैं, धरती और पाताल बेच सकते हैं
अंग्रेजी आये या न आये बर्गर और पीत्ज़ा बेच सकते हैं
मैकडॉनल्ड्स हो या केंटकी देसी हो या विदेशी
बिल के साथ हो या ग्रे मार्केट का माल
धंधे में कोई भेद भाव नहीं करते
धंधा चलता रहे इसलिए अंग्रेजों से भी संधि कर ली थी
जब स्वदेशी आन्दोलन चल रहा था तब धंधा करने वाले विदेशी हाफ पैंट पहन रहे थे
साहब बहादुर अंग्रेजों के घर का सौदा धंधे वालों के यहाँ से जाता था
डर कर दुकाने बंद कर लेते थे जब भगत सिंह कभी पास आता था
भगत सिंह की ज़िन्दगी में ये धंधा करने वाले साथ भी नहीं दिखाई देना चाहते थे
क्योंकि भगत सिंह नास्तिक था, और सोशलिस्ट था, अंग्रेजों के विरुद्ध था
धंधे वालों ने टोपियाँ बेचीं, ईमान बेचे, दाढ़ियाँ बेचीं, रमज़ान बेचे
कब्रिस्तान बेचे शमशान बेचे, जब जो बिकता है वो बेच देते हैं
धार्मिक सभा में, नास्तिक भगत सिंह बेचा जा रहा है
रथ पर सवार होकर विवेकानंद बेचा जा रहा है
धंधा करने वालों की दुकान पर धार्मिक पोस्टर भी मिलते हैं, सेक्सी कैलेंडर भी
उनके लिए भगत सिंह हो, या विवेकानंद वो केवल चित्र होता है, चरित्र नहीं होता
धंधा करने वालों में ब्लैक या वाइट नहीं होता
केवल रोकड़ा होता है, आंगड़िया होता है, हवाला होता है
वो विवेक का या नैतिकता का बोझ नहीं उठाता है
धंधे वालों से धंधा करने में हम जीत नहीं सकते
वो कल भी थे वो आज भी हैं वो कल भी रहेंगे
उन्हें जब जब मौक़ा मिलेगा धंधा करेंगे
