बूंद-बूंद को मिलकर समंदर बनते हमने देखा है

Boond

We present here some random Facebook status notes of Mayank Saxena. He has been working in Uttarakhand with other friends of BOOND. A voluntary group, Boond, is largely a group of people from all over the world who are relentlessly working in Uttarakhand. They have collected funds by asking friends to contribute. Backed by no political group or NGO, BOOND is working ceaselessly with the power of volunteers. If you wish to join hands in Uttarakhand you can contact Mayank Saxena on Facebook or write to us.

अजब सा भावुक कर देने वाला नज़ारा था…मैं भावविभोर हो कर बस देखता ही रह गया…रुद्रप्रयाग के होटल के उस 4 बेड के कमरे में अचानक अहमर ने उठ कर नमाज़ पढ़नी शुरु की…आंख घूमी तो देखा खरे साहब बेड पर ध्यान लगाए बैठे हैं…और सामने के बिस्तर मैं नास्तिक इन दोनों के साथ बैठा हूं…इन दोनों को निहार रहा हूं…इतना भावुक था कि कैमरा उठा कर तस्वीर लेना भी भूल गया…बस इन दोनों को देखता रहा…
दो आस्तिक…अलग अलग मज़हबों को मानने वाले…पूजा का अलग अलग तरीका…एक नास्तिक जो इन दोनों से ही अलग विचार वाला…और बस एक ही कमरे में आमने सामने साथ साथ अपनी अपनी आस्था को बिना विरोध, बिना रोक, बिना व्यंग्य, बिना पूर्वाग्रह साथ लिए…और कमरा अचानक ज़्यादा रोशन हो उठा…
आंख में आंसू थे…कि ये वो ही सपना है न जिसे बूंद बनाते वक्त देखा था…सपने पूरे होने लगे हैं…सेहरा की रेत को बूंदें भिगो रही हैं…हरा कर के ही मानेंगी…
क्या हम एक ऐसी ही दुनिया नहीं बना सकते…
क्यों हम एक ऐसी दुनिया नहीं बना सकते…
ये दुनिया हर हाल में बदलेगी…
ज़िंदाबाद

(अल सुबह हम 4 लोग एक ट्रक में सवार रुद्रप्रयाग से चंद्रपुरी की ओर कूच करेंगे….सफ़र की तस्वीरें आज तकनीकी दिक्कतों के कारण नहीं खींची जा सकीं…कल कोशिश होगी…आप साथ दें…दुनिया तो बदल के रहेगी…)

16th July

बूंद की टीम को रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि में नया आशियाना मिल गया है…हम अब नए घर में हैं, गांव का नाम है क्यूंजा…कोटखाल है इलाका…इस घर में सब लोग कमरों की जगह बालकनी में ही रहते हैं…क्योंकि बालकनी के सामने घाटी है…घाटी में पारदर्शी पानी की धवल धारा…खूबसूरत हरियाली…सीढ़ीदार धान और मक्के के खेत…सामने दोनों ओर दो झरने…और ठीक सामने के पहाड़ों के ऊपर छाए बादल…बादल कभी कभी बालकनी में भी घुस आते हैं…नीचे एक प्राथमिक स्कूल है जहां सुबह से दोपहर तक बच्चे दिखते हैं…
क्यूंजा मोहनखाल से बांसवाड़ा जाने वाली सड़क पर है…कल सुबह हमारी एक टीम चंद्रपुरी इलाके में गई, जहां एक बूढ़ा और बीमार बैल खाई में फंसा हुआ था…हमारी टीम ने बड़ी मशक्कत के बाद उस बैल को खाई से बाहर निकाल दिया और भरपेट भोजन भी कराया…
उसके बाद रोप वे के ज़रिए हम बिना सड़क और पुल के रह गए इलाके में गए, जहां एक हरिजन बस्ती है…हालात बुरे हैं, जिसके बारे में बात करेंगे…उसके बाद हमारी टीम ने कई गांवों का दौरा किया…रात जंगल से होते हुए ऊपर पहुंचे, लगभग 25 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर के…
बूंद की टीम जो पा रही है, वो ये है कि उत्तराखंड के आपदाग्रस्त इलाकों में सरकार और प्रशासन जैसी कोई चीज़ नहीं है…स्थानीय लोगों को उनकी किस्मत के सहारे छोड़ दिया गया है…8 किलोमीटर लम्बे इलाके में दो डॉक्टर हैं, जो सालों से अस्पताल में नज़र नहीं आए हैं…लोग आपदा में जिएं या मरें…सरकार को क्या…क्यों बहुगुणा साहब…और हरीश रावत साहब…और हरक सिंह रावत साहब…
(मनमोहन सिंह…आपको शर्म से डूब कर मर जाना चाहिए…)

16th July

शेर था जंगल में
हां, राजा ही था
लोमड़ियां भी थीं
शेर की खाल पहने
घूमती थीं
शेर सी ही
डराती थीं
दिखने लगी थीं
क्योंकि शेर सी ही
शेर सी बहादुर न थीं
बस
चालाक थी
शेर से कहीं ज़्यादा
आप को पता है
अब जंगल में
शेर की खाल पहने
लोमड़ियां राज करती हैं
शेर के भक्त
अपने अपने शेर जांच लें
शेर विलुप्त हो चुका है…

17th July
टप-टप करते हौले-हौले
गागर भरते हमने देखा है
बूंद-बूंद को मिलकर
समंदर बनते हमने देखा है

रंग-रंग के हाथों की
ताक़त मिलती देखी है
ढंग-ढंग की बातों से
हिम्मत ढलती देखी है

टूटे पंखों को जोड़ा
मुकद्दर बनते हमने देखा है
बूंद-बूंद को मिलकर…

रातों के तारों को
दिन को लाते देखा है
फूलों को कांटों में भी
इठलाते देखा है

आंसू को पसीने में
बहते हमने देखा है
बूंद-बूंद को…

अलग ज़ुबानों में कहते
हम बात एक हैं
अलग तरीकों से करते सब
काम नेक हैं

कदमों को एक चाल में
चलते हमने देखा है
बूंद-बूंद….

17th July

1. जम्मू कश्मीर – जम्मू, श्रीनगर, राजौरी
2. हिमाचल प्रदेश – शिमला, कांगड़ा
3. उत्तराखंड – ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, हल्द्वानी, नैनीताल, रुद्रपुर, पिथौरागढ़ , अल्मोड़ा
4. दिल्ली
5. हरियाणा – चंडीगढ़, सोनीपत, रोहतक, अम्बाला, वल्लभगढ़
6. पंजाब – चंडीगढ़, फिरोज़पुर, लुधियाना
7. राजस्थान – जयपुर, बीकानेर, उदयपुर, जोधपुर
8. मध्य प्रदेश – भोपाल, इंदौर, उज्जैन
9. उत्तर प्रदेश – लखनऊ, इलाहाबाद, बाराबंकी, वाराणसी, अमेठी, बरेली, झांसी, गोरखपुर, बलिया, जौनपुर, गोंडा, फ़ैज़ाबाद, नोएडा, ग़ाजियाबाद
10. बिहार – पटना, चम्पारण, छपरा, मुजफ़्फ़रपुर, भागलपुर, कटिहार, मुंगेर
11. झारखंड – रांची, गिरीडीह, रामगढ़
12. छत्तीसगढ़ – रायपुर, भिलाई, बस्तर
13. पश्चिम बंगाल – कोलकाता, नदिया
14. मणिपुर – इम्फाल
15. केरल – कोझिकोड, एर्नाकुलम
16. कर्नाटक – बेंगलुरु, मैसूर
17. महाराष्ट्र – मुंबई, पुणे, नागपुर, अहमदनगर
18. गुजरात – अहमदाबाद, सूरत, भरुच
19. आंध्र प्रदेश – हैदराबाद

इसके अलावा
1. ब्रिटेन – लंदन
2. स्विट्ज़रलैंड – ज्यूरिख
3. जर्मनी – बर्लिन
4. सूडान
5. यू एस ए – सैन फ्रांसिस्को, न्यूयॉर्क
6. यू ए ई – दुबई

19 राज्य और 73 शहर…6 मुल्क और 7 शहर…जी हां पिछले 1 महीने में बूंद Boond परिवार से ये देश, राज्य और शहर जुड़ गए हैं…इन सब शहरों और सूबों में न केवल हमारे अलग अलग नामों और कामों वाले मददगार या साथी हैं…किसी का नाम हिंदू सा है, किसी का मुसलमान सा, किसी का ईसाई सा, किसी का सिख सा तो किसी का जैन, बौद्ध, पारसी सा…पर दरअसल नाम के अलावा ये सब इंसान हैं पूरी तरह इंसान….शायद एक ऐसी ही दुनिया हम चाहते थे…एक गांव जहां एक दुनिया हो…एक दुनिया जो एक गांव ही बन जाए….
बूंद देखी है हमने बनते दरिया…क़तरा बन जाएगा समंदर ये यक़ीन भी है हमें…
ज़िंदाबाद…
ज़िंदाबाद बूंद….
ज़िंदाबाद उम्मीद उत्तराखंड….

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