मुर्दों के खिलाफ – Mayank Saxena

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कुछ लोग ज़िंदा थे
कुछ लोग
थोड़ा कम ज़िंदा
कुछ थोड़ा ज़्यादा ज़िंदा
इन बहुत थोड़े लोगों के
इर्द गिर्द
इकट्ठा थे
बहुत सारे
मुर्दा लोग
कुछ मुर्दा
कुछ थोड़े कम मुर्दा
कुछ…
थोड़े ज़्यादा मुर्दा
ज़िंदा लोग
बहुत ज़्यादा ज़िंदा लोग
थोड़ा कम ज़िंदा लोग
लड़ते रहे
मुर्दा होने तक
मुर्दों के खिलाफ
ज़िंदगी भर लगे रहे
मुर्दों को जिलाने में
कुछ को कम
कुछ को
थोड़ा ज़्यादा
कुछ को पूरी तरह
लड़ाई मुर्दों से थी
ज़िंदा लोग हार गए
लेकिन फिर भी
मुर्दे जीतकर भी
उतने ही या ज़्यादा
मुर्दा ही रहे
ज़िंदा लोग
मुर्दा हो जाने के बावजूद
रहे कहीं ज़्यादा ज़िंदा
दुनिया
के रहने तक
ज़िंदा रहेंगे
वो बहुत थोड़े से
ज़िंदा लोग
मुर्दों की इस फैलती
आबादी के बीच

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