गुजरात सरकार द्वारा चुने गए एसआईटी के सदस्य ने भी जब इस बात पर
हस्ताक्षर कर दिया है कि ये फेक एनकाउन्टर था।
तो बात बार बार घूम कर हत्या के फर्जी न होने पर क्यों लाइ जाती है?
अब तो हर तरह से साबित हो चुका है कि ये बिलकुल फर्जी हत्या का मामला है।
बात ये होनी चाहिए की नेता लोग राजनीती क्यों कर रहे हैं?
बार बार जनता को गुमराह क्यों कर रहे हैं?
जब गुजरात सरकार, न्यायलय और सारे अधिकारीयों ने फेक एनकाउन्टर की पुष्टि ही नहीं,
बल्कि उसपर हस्ताक्षर तक कर रखा है !!!
