दंगा – मयंक सक्सेना ( Mayank Saxena)

Mayank Saxena
Mayank Saxena

दंगा

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रात
अंधेरा
सन्नाटा
शोर
भीड़
आग
चीखें …
नारे
चीखें
आग
ऱोशनी
फिर रात
अंधेरा
सन्नाटा
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मयंक सक्सेना (4 मई, 1.26am)

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