उनके पति बड़े उद्योगपति हैं, वो भी बिज़नेस वूमेन कहलाती हैं – Mayank Saxena

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उनके पति बड़े उद्योगपति हैं, वो भी बिज़नेस वूमेन कहलाती हैं…

हालांकि वो उन्हीं बिज़नेस मीटिंग्स में जाती हैं, जहां बड़े राजनैता या नौकरशाह आते हैं…
उनके पति समाजसेवा भी करते हैं, सीएसआर कहते हैं उसे…
वो भी समाजसेविका हैं…गरीब बच्चों को पढ़वाती हैं…हां हां, अहसान करती हैं…
उनके पति अक्सर बिज़नेस के सिलसिले में थाईलैंड जाते रहते हैं…
ये अलग बात है कि उनके पति का सारा बिज़नेस कनाडा-अमेरिका और ब्रिटेन में एक्सपोर्ट का है…
उनके पति उनकी मेड (नौकरानी) तक का बड़ा खयाल रखते हैं…
कई बार घर लौटने पर उनको अपने बिस्तर पर सिलवटें मिली हैं…
उनको शक था कि “उनकी नौकरानी उनके पति पर डोरे डालती हैं, क्योंकि वो उनकी सुंदरता से जलती हैं…”
इसलिए उन जाहिल-गरीब नौकरानियों को उन्होंने कई बार नौकरी से निकाला है…
यहां तक कि एक नौकरानी पर तो उन्होंने ये तक अहसान किया कि उसका गर्भपात भी करवाया, वरना “वो गरीब किसे मुंह दिखा पाती…”
उनकी “नौकरानी लेकिन इतनी हरामज़ादी थी, कि उनके पति पर आरोप लगाने लगी…”
जबकि वो जानती थीं, कि “उनका ड्राइवर ही कमीना था…सो उसे भी नौकरी से निकाल दिया…”
लेकिन दरिया दिली ऐसी कि उन दोनों को नौकरी से निकालने का मुआवजा भी दिया…
ख़ैर, वो प्रगतिशील हैं…और नौजवानों के साथ भी घुल मिल जाती हैं…
अक्सर पब और डिस्को जाती रहती हैं…और ज़रूरी है आधुनिक दुनिया के साथ कदम मिलाना…
लेकिन संस्कार भी तो कुछ होते हैं, साईं और बालाजी के हर छमाही दर्शन और दान करती हैं…
हाल ही में उनके भाई ने पब में एक लड़की को ज़बरन चूम लिया…लेकिन वो थाने में लड़ पड़ी…उस लड़की को थप्पड़ भी जड़ दिया…उसके भाई और बाप के सामने
उनकी बात भी ठीक थी, “आखिर उस लड़की ने कुछ न कुछ तो ऐसा किया होगा, जो उनका भाई प्रोवोक हुआ…वरना वो शरीफ घर का लड़का है…विदेश से पढ़ा है…”
लेकिन वो महिलाओं के अधिकारों के साथ खड़ी हैं…लेकिन आरक्षण नहीं चाहती हैं…
“हां भई, आरक्षण होगा तो जाहिल महिलाएं चुन कर आएंगी…जैसे वो गरीब गांव वाले अनपढ़ मंत्री बन गए मंडल वगैरह की नौटंकी से…”
मैडम अक्सर अपनी किटी की सहेलियों से चर्चा करती हैं, कि गरीबों की बस्ती से उनके मोहल्ले का माहौल खराब रहता है…
इसीलिए पिछली बार मंत्री जी से मिली तो उनसे अनुरोध भी किया था, इस बस्ती को हटाने का…”गरीब हैं, जाएं शहर के बाहर बसें…कितनी बदबू आती है…और वो उनके गंदे बच्चे टहलते रहते हैं सड़क पर…उफ़…”
मैडम दिल्ली के रेप से आहत हैं…और लगातार सोचती रहती हैं कि “आखिर ये कैसे बंद होगा…
उनका मानना है कि गरीब और भूखे नंगे ही ये सब करते हैं…इसलिए इन भूखों-नंगों पर सख्ती होनी चाहिए…”
उनको पता भी है कि “अगर आज इन गरीबों-जाहिलों पर सख्ती नहीं हुई, तो कल वो पूरा माहौल ही गंदा कर देंगे…”
“अरे इनकी लड़कियां भी आजकर घरों में काम करने के बहाने, अमीरों पर डोरे डालती हैं…क्या बताएं, ये साले लोग ही गलीज़ हैं…”
अभी टीवी पर एक्स के डियोडेरेंट में कई लड़कियां, एक लड़के पर जैसे मदहोश होकर गिर पड़ी हैं…वो अपनी सहेली को बता रही हैं…कि इसमें से एक लड़की उनकी कज़न की बेटी है…अगली फिल्म में एक आईटम नम्बर भी कर रही है…
मैडम की नौकरानी काम पर आ गई है…मैडम ने कहा…”क्यों, तुम लोगों के मरद तुम लोगों से खुश नहीं रहते क्या…जो दूसरों की बहन-बेटियों पर नज़र डालते हैं…अरे थोड़ा खुश रखो उन लोगों को…अपने साहब को देखो…कभी देखा है किसी लड़की की ओर आंख उठा कर देखते…”
नौकरानी मुस्कुरा रही थी…उनको पता था कि वो हमेशा चुप रहती है…गरीब औरत है…जाहिल….क्या करेगी बेचारी…
लेकिन न जाने आज क्यों वो बोल पड़ी….’मैडम जी…जिसने रेप किया, वो हरामी भी बस्ती वाला ही था…और जिसका रेप हुआ…वो भी गरीब घर की लड़ती थी…उसको साले को तो फांसी लटका दो…लेकिन मैडम, गाड़ी वाले साहब लोग तो अमीर गरीब किसी को नहीं छोड़ते…मैडम बुरा मत मानिएगा…हम जाहिल ज्यादा क्या जानें…’

नोट – ये कहानी काल्पनिक नहीं है…लेकिन सबके लिए सच भी नहीं है…इसे समझने वाले समझें, बाकी से बहस का वक्त लिखने के बाद बचता नहीं है…सिर्फ एक बात…पुरुषवाद और सामंतवाद किसी स्त्री या पुरुष का डोमेन नहीं…
मानसिकता किसी भी पेट भरे की बपौती हो सकती है…

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