देखिए सियासत क्या क्या रंग दिखाती है…इस्तेमाल हो गए मोहरों को कभी भी ज़िंदा नहीं बचना चाहिए…आखिर पाप करवाया किसी ने भी हो, हुआ तो उनके हाथों से ही था…
बाबू बजरंगी और माया कोडनानी को फांसी होनी ही चाहिए…
लेकिन वो तो कहते हैं कि ये प्रतिहिंसा जायज़ थी…
ख़ैर माया कोडनानी कभी किसी सीएम की खास नहीं थी, बाबू बजरंगी ने व्यक्तिगत झगड़े में हिंसा की थी…गुजरात में कभी कुछ नहीं हुआ था…
आप लोग क्या बात करते हैं…ये हिंदुओं का देश है, जो यहां अवैध ढंग से घुस आए हैं, उनको हम इंसान ही नहीं मानते…जो मारे गए, उनके पुरखे यहां अवैध ढंग से कई साल पहले घुस आए थे…(ठीक वैसे ही जैसे हमारे चक्रवर्ती सम्राट कई जगह घुसते थे, जिनमें से एक के नाम पर हमारे देश का नाम रखा गया है..)
अवैध ढंग से घुस आए थे…लेकिन आप तो कहते थे कि ज़बर्दस्ती धर्मांतरण हुआ था…फिर तो ये यहीं के लोग थे…
हां तो जिसने धर्म छोड़ा, उसे ज़िंदा रहने का क्या अधिकार…
मतलब इसीलिए गुजरात में….
अरे नहीं यार…गुजरात में कुछ नहीं हुआ था…
फिर माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को फांसी की मांग क्यों…सुबूत मिटाने के लिए…
अरे नहीं यार…तुष्टीकरण करना पड़ता है…
मतलब तो क्या आपकी पार्टी भी तुष्टिकरण करती है…वो तो विरोध करती है…
यार ऐसा है, देखो तुम को निष्पक्ष हो कर बात करनी हो तो करो…वरना मैं साम्प्रदायिक लोगों से बात नहीं करता…