स्वामी अग्निवेश द्वारा सूचना के अधिकार के अंतर्गत छत्तीसगढ़ की जेलों के विषय में माँगी गई सूचना के जवाब में सरकार ने निम्नांकित सूचना दी है .
जगदलपुर जेल में नक्सली मामलों के 546 विचाराधीन कैदी बंद हैं जिनमे 512 कैदी आदिवासी हैं
दंतेवाड़ा जेल में नक्सली मामलों के 377 विचाराधीन कैदी बंद हैं जिनमे 372 कैदी आदिवासी हैं
कांकेर जेल में नक्सली मामलों के 144 विचाराधीन कैदी बंद हैं जिनमे 134 कैदी आदिवासी हैं
दुर्ग जेल में नक्सली मामलों के 57 विचाराधीन कैदी बंद हैं जिनमे 51 कैदी आदिवासी हैं
क्या सरकार ने कभी स्वयं इस आंकड़े का विश्लेषण किया है ?
इन आंकड़ों के मुताबिक तो चूंकी नक्सली होने के अपराध में जेल में आदिवासी ही बंद हैं .तो इसका अर्थ हुआ कि सभी नक्सली आदिवासी हैं या फिर आदिवासी ही नक्सली बन गये हैं.
इसका अर्थ यह भी हुआ कि आदिवासी और सरकार आमने सामने आ गई है .क्योंकि प्रधानमंत्री के मुताबिक नक्सली लोग देश की आंतरिक सुरक्षा के लिये सबसे बड़ा खतरा हैं और आपके अपने ही जेल के आंकड़े कह रहे हैं कि आदिवासी ही नक्सली हैं तो इसका मतलब है कि आप देश के आदिवासियों को ही अपने लिये सबसे बड़ा खतरा मान रहे हैं ?
और आदिवासी इसलिये आपके देश के लिये खतरा हैं क्योंकि आपको आदिवासी की ज़मीन छीननी है . हमारी इस आशंका का कारण यह है कि प्रधानमंत्री ने ही कहा था कि नौ प्रतिशत विकास दर प्राप्त करने के लिये हमें भारत के आदिवासी इलाकों में खनन शुरू करना ही पड़ेगा और इसके लिये हमें वामपंथी उग्रवाद को काबू में करना ही पड़ेगा . और आप ही के मुताबिक ये वामपंथी उग्रवादी आदिवासी ही हैं .कम से कम आपके जेल के आंकड़े तो यही कह्ते हैं .
तो अब आप नौ प्रतिशत विकास दर प्राप्त करने के लिये ही आदिवासियों को जेलों में ठूंस रहे हैं .
और प्रधानमंत्री जी अपने लाल किले से यह भी कहा था कि जो हमारे विकास का विरोधी है वही आतंकवादी है .
और आपका विकास का तरीका कहता है कि आदिवासी की ज़मीने बड़ी कम्पनियों को सौंप दो .
और जो आपके इस तरह के विकास के लिये अपनी ज़मीन ना दे वही आतंकवादी है .
यह एक भयानक स्तिथी है कि आपने अपनी आदिवासी जनता पर सबसे बुरी गुलामी का दौर थोपा है और उन पर सरकारी आतंकवादी हमला बोल दिया है .
हम आजादी के बाद एक दिन इस दौर में पहुंच जायेंगे कौन जानता था ?
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mere condemning such acts will not suffice. reality is that companies are dispossessing large number of adivasis without any proper consent and compensation. this shall be protested by every conscientious individual and issue of people languishing in jail without proper trial shall be raised urgently. those who have unjustly imprisoned people, shall be punished severely.