
(इसका किसी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है…हो तो वो खुद ज़िम्मेदार है…)
चम्पादक- जी, आप कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं एक चम्पादक को…वो भी दफ्तर से…
पुलिस अधिकारी- आपके खिलाफ़ वारंट है…
चम्पादक- वारंट से क्या होता है…हम चम्पादक हैं…कानून वानून नहीं मानते…
पुलिस अधिकारी- डंडा तो मानते हो कि नहीं…
चम्पादक- देखिए ये महंगा पड़ सकता है…
पुलिस अधिकारी-100 करोड़ हैं ही नहीं हमारे पास…2-3 लाख में आपका पेट नहीं भरेगा…क्या करोगे…चलो अब…
चम्पादक- मेरी पहुंच बेहद ऊपर तक है…
पुलिस अधिकारी- मेरे भी बॉस वही हैं…
चम्पादक- सस्पैंड करवा दूंगा…
पुलिस अधिकारी- बहुत करवा लिया…आज तो बदले का दिन है…
चम्पादक- थाने चलो, वहीं देखते हैं…वर्दी का घमंड है…
पुलिस अधिकारी- चलो…वर्दी उतार कर ही बात करेंगे आज रात…
चम्पादक- अच्छा..अरे…ओह..बुरा मान गए क्या…देखो अपन तो भाई भाई हैं…
पुलिस अधिकारी- मैं तो कभी गिरफ्तार नहीं हुआ…कैसे भाई…
चम्पादक मालिक को फोन लगाते हैं…. फोन पर- डायल किया गया नम्बर फिलहाल स्विच ऑफ़ है…
चम्पादक- मरवा दिया @#$%^& ने…बोले धंधा लाओ…वाट ही लगवा दी…कहा था टिंगल टेढ़ा आदमी है…पावरप्राश के दो स्लॉट और ले आते…बाकी पांटी से बात करवा देते…कुछ ज़मीनें दिलवा देते…
पुलिस अधिकारी- बेटा, तुमको भी तो बड़ी पड़ी थी, जल्दी चैनल हेड बनने की…जब रिपोर्टर थे…थाने आते थे…तभी से लक्षण दिखते थे…लेकिन 10-20 हज़ार की दलाली से इतनी जल्दी उड़ने की इच्छा से ये ही होना था…खिचड़ी गर्म हो तो किनारे से खाना शुरु करो…बीच से खाओगे तो मुंह जलाओगे…
चम्पादक- अब ज्ञान न दो…मालिकवा भी फोन नहीं उठा रहा…
पुलिस अधिकारी- चलो…क्या करना है…
चम्पादक- रुको एक फोन और कर लें…
(चम्पादक न्यूज़रूम में फ़ोन लगाता है…) चम्पादक- सुनो…हम दोनों को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है…ब्रेकिंग चलवाओ…और अगला बुलेटिन चलाओ…फोनो लो…लाइव लो…मेन एंकर को लगा दो…लोकतंत्र पर हमला…सम्पादकों की गिरफ्तारी…सरकार का मीडिया पर हमला…आज़ादी छीनने की कोशिश…मीडिया पर दबाव बनाने की कोशिश…लोकतंत्र के चौथे खंभे की नींव में पानी भरने की सरकारी साज़िश…जो जो याद आए, सारे जुमले ठेल दो…और हां एंकर लिंक लिख कर पढ़वाना…नहीं बहुत अक्खड़ एंकर है…मन से बोला तो ऐसी तैसी करवा देगा…सम्पादक की गिरफ्तारी कैसे कर सकते हैं…भले ही राष्ट्रपति की कर लें…हां याद रखना…लोगों को इमरजेंसी की याद भी दिला देना…समझे…
पुलिस अधिकारी- बहुत हो गया…चलो रास्ते से बीयर भी लेनी है, दिल्ली में दुकान दस बजे बंद हो जाती है…बाकी बात वकील से करना…
चम्पादक- अच्छा…वो बीयर लेना तो एक ओल्ड मॉंक का अद्धा भी ले लेना…बाकी तो लोकतंत्र की हत्या हो ही गई…ग़म ही ग़लत कर लें…
पुलिस वाला मुस्कुराता है…
(Mayank Saxena is a poet, story teller and a journalist. He is not liked by many Editors/Sampadaks/Champadaks for reasons best known to CIA, KGB, RAW, ISI, Poirot and Sherlock Holmes. We take no responsibility for his writings. He is Gorbachov and Bush’s responsibility)